गहन मौन में यात्रा आरंभ,
हृदय में उठती हल्की सरगम।
पथ है तीन, पर एक ही धारा,
वापस घर को ले चले हमारा।
सही समझ मिटाए अंधकार,
प्रकाश में लाए सत्य अपार।
जहां नाम-रूप सब फीके पड़ें,
वास्तविकता के परदे हटें।
सही अभ्यास दिखाए राह,
बंधनों से मुक्ति की चाह।
त्याग से जब बंधन टूटें,
शांत धारा में हम झूमें।
सही अनुभव देता दृष्टि,
भय मिटे, और खत्म हो वृष्टि।
अविचल अवस्था, विचारों से परे,
शांति और आनंद जहां बसे।
मौन की गहराई में पहुंचे हम,
जागृत, सजग, और पूर्णतम।
त्रिगुण पथ, सच्चा और सरल,
ले जाए हमें उस सत्य अटल।
यह यात्रा गहन, पर मार्ग सहज,
प्रकाश और मिट्टी का है वरण।
हर कदम पर सत्य प्रकट हो,
पूर्ण स्मृति से आत्मा जोड़े।